- बीते दिन -
कभी भूल कर हमें याद कर लेना
बीते दिनो की याद ताज़ा कर लेना
आज साथ तुमने मेरा छोडा
पूरा होता ख्वाब तुमने तोडा
दिल की बाते रह गई दिल में
प्यार की बाते मिल गई धूल में
याद करो अब उन बीते दिनो को
जिन्से बिछुडना पडा आज हमको
मेरे दिल ने चाहा था तुम्हे
अब तो याद करेगे बीते लम्हे
कभी भूल कर हमे याद कर लेना
बीते दिनो की याद ताज़ा कर लेना
- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
( 15-05-1984 )
एक बहुत अच्छी रूमानी कविता के लिए ...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी, बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंआप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
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कभी भूल कर हमें याद कर लेना
जवाब देंहटाएंबीते दिनो की याद ताज़ा कर लेना
--बहुत उम्दा!
bhaut hi aacha likha hai sir aapne, bite huye din hote bhaut pyare hai,,bapas nahi aate , sab kuch bhaut yaad aata hai.
जवाब देंहटाएंगहरी चोट खाई हैं!
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र जी - नही सर चोट तो नही खाई- 1984 मे लिखा था - बस मन के भाव ने इस रिश्ते मे एक कोण ये भी .... बस इसे ही जगह दी.
जवाब देंहटाएंप्रतिबिंब जी, आपके ब्लाग साइट पर ऐसे ही भटकता हुआ आ गया था, आपकी रचना अच्छी लगी। धन्यवाद! मेरा भी एक अंग्रेजी का ब्लाग साइट है, वक्त मिलने पर देखे और अपने अनमोल कमेंट देकर मुझे अनुगृहीत करे।
जवाब देंहटाएंhttp://savykr.wordpress.com/
सभी मित्रो का शुर्क्रिया.प्रोतसाहन के लिये. डा.संजीव जी शुक्रिया.. जी जरुर आयेगे आपके पास.
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