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शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

गुदडी का लाल



~गुदडी का लाल~

निर्धनता के दामन थामे, जिनके बढते रहे कदम,
येसे लाल बहादुर को करते है आज हम सब नमन,

कद के छोटे थे लाल, फ़िर भी ऊंचे थे उनके विचार,
जीवन के हर मोड पर सादगी ही था उनका आधार.

गांधी-नेहरु के संग उन्होने आज़ादी की लडी लडाई,
हर आंदोलनो में कूद भारत को आज़ादी दिलवाई.

कठिन समय मे की उन्होने भारत की अगुवाई,
कुछ निर्णयो को लेकर उन पर अंगुली भी उठाई.

लाल बहादुर ने देश का बचाया सम्मान,
दे कर नारा "जय जवान - जय किसान".

शांति की खोज़ मे ताशकंद पहुंचा यह लाल,
वही से अलविदा कह गया ये गुदडी का लाल.

-प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी गांधी जी को लोग याद कर ही लेते है लेकिन शास्त्री जी कि ओर उदासीनता देखकर आश्चर्य भी व दुख भी होता है.

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  2. बहुत अच्छा ! ऐसे राजनेता आज कहाँ मिलते हैं!

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आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

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