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सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

तुम जब भी मेरे पास आये

तुम जब भी मेरे पास आये,
प्यार की परिभाषा बदलती रही।
जब भी तुमने मुझे छुआ
अहसास हमारे हर पल बदलते रहे।

तुम्हारी आँखों ने जब भी कुछ कहा
सपने मेरी आँखों के बदलते रहे
तुम्हारे दिल ने जब भी मुझे पुकारा
दिल के जज़बात फ़िर तड़पेंगे लगे


रात की खामोशी जब कुछ कहने लगी
हम तुम तब कुछ बहकने से लगे
दूरियां जब कुछ कम होने लगी
प्यार के अंदाज़ फ़िर बदलने लगे।


होंठ जब तुम्हारे कंपकंपाने लगे
जुबां ना जाने मेरी क्यों लड़खड़ाने लगी
सांसे जब तुम्हारी तेज़ चलने लगी
प्यार कि गहराई हर पल बदलती रही।

वक्त और मौसम बस बदलते चले गये
हम और तुम प्यार में बस चलते गये
अहसास फ़िर भी बदलते रहे
प्यार में हम यूं ही निखरते रहे


- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
(पुरानी रचना दुसरे ब्लाग से)

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