मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्। तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार, हर पल तेरी कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
शनिवार, 5 सितंबर 2009
बीते दिन
रविवार, 30 अगस्त 2009
चल चलें रे मन मेरे…………
चल चलें रे मन मेरे…………
सोचत मन अब मैं कित जाऊँ।
चल चलें रे मन मेरे…………
कभी भ्रमित मन, कभी घूमत मन,
कभी मधहोश मन, कभी रुठत मन।
चल चलें रे मन मेरे…………
कभी संकुचित मन, कभी उलझित मन,
कभी खेलत मन, कभी बहकत मन ।
चल चलें रे मन मेरे…………
कभी सहमत मन, कभी कुंठित मन,
कभी क्रोधित मन, कभी संचित मन।
चल चलें रे मन मेरे…………
कभी आस्तिक मन, कभी नास्तिक मन,
कभी तडपत मन, कभी पुलकित मन।
चल चलें रे मन मेरे…………
हर पल बदलत, मन मैं अब कित जाऊँ
चल चलें रे मन मेरे…………
- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल