हिन्दी मेरी अपनी है भाषा
सब बोले मेरी ये है आशा
भारत मां के माथे की है ये बिन्दी
हर हिन्दुस्तानी की शान है ये हिन्दी
हिन्दी मनभावन और अति पावन है
बिखरे इसमें कई रंग और खुशबू है
हर साहित्यकार को करे हम नमन
हर रचनाकर का करे हम अभिनंदन
हिन्दी दिवस मना रहे हम सब आज
हिन्दी प्रेम की शुरुआत करे हम आज
आओ हम सब कर ले ये सन्धि
लिखे, पढे और बोले अब हिन्दी
- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल