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शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

दीपावली की बधाई एवम शुभकामनाये!!



ब्लागवाणी तथा चिट्ठाजगत के पाठको को, तमाम हिन्दी ब्लागरो और भारत वासियो को
दीपावली की बधाई एवम शुभकामनाये!!

II हरि ओम हरि ओम हरी ओम हरि ओम ततसत् हरि ओम शान्ति शान्ति शान्ति II
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आज सज़े है दिये चारो ओर,होगा मिठाई वितरण और आतिशबाजियो का शोर,
शुभ रहे दीपावली आप मित्रो को,स्वीकार करे "प्रतिबिम्ब" का प्यार व नम्स्कार

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

दिवाली फ़िर से आई - शुभकामनाये



दिलो - दिमाग पर रहती, हर त्यौहार की छाप है

बतलाया गया मुझे चोरी और झूठ तो एक पाप है।


सिखलाया करना बड़ो का आदर, रखना प्रेम और भाई चारा,

देश प्रेम का पाठ पढाया और बुलंद किया देशभक्ति का नारा।


आज दिवाली फ़िर से आई सबके चेहरो पर ख़ुशियाँ लाई,

दोस्तों को देने लगे बधाई, सबके घरों में उमंग ले आई।


भूल गये सब कल की बाते, नई राह फ़िर लगे हैं देखने,

आज फ़िर कल बन जायेगा, सभी भरने लगेंगे घर अपने।


आओ दीपावली का त्यौहार हम आज इस तरह मनाये,

रुठे है सपने जिनके, उनके सपनों को आज़ फ़िर संज़ाये।


- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ


तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ
अपनी धुनों से दीवाना तुमको बनाऊँ
प्यार के खेल में जीत ले हम बाजी
तुम संग नाचूँ, गीत, मिलन के गाऊँ

तुम कहो तो दुनिया से मैं लड़ जाऊँ
धरती क्या अम्बर में तूफान मचाऊँ
सागर की मौजो को गले लगाऊँ
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ

पंछी जैसे साथ तुम्हें ले मैं उड़ जाऊ
नील गगन में प्यार तुम्हें सिखलाऊँ
तराना प्यार का तुमको मैं सुनाऊँ
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ

दिल में अपने मूरत तुम्हारी है बनाई
किया है प्यार तुम्हीं से, ये है सच्चाई
साथ जियेंगे कसम ये है मैंने खाई
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ

-प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

तो क्या बात होती


- तो क्या बात होती-

ख्वाब हकीकत बन जाते तो क्या बात होती
हम - तुम एक हो जाते तो क्या बात होती

तेरा दर्द मैं सह पाता तो क्या बात होती
तेरे आंसू मेरी आंख से आते क्या बात होती

तेरा गम मैं समेट पाता तो क्या बात होती
तेरी परछाई मैं बन पाता तो क्या बात होती

मेरी खुशनसीबी तुम्हें मिल जाती तो क्या बात होती
तुम्हारा प्यार मुझे मिल जाता तो क्या बात होती

मेरा सुख-चैन तुम को मिल जाता तो क्या बात होती
मेरी मुस्कराहट तुम को मिल जाती तो क्या बात होती

तेरे दामन में ख़ुशियाँ मैं भर पाता तो क्या बात होती
दुनिया की बुरी नज़र से बचा पाता तो क्या बात होती


- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

(पुरानी रचना दूसरे ब्लाग से)
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