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शनिवार, 5 दिसंबर 2009

उनकी याद्

उनकी याद्…………

क्षितिज की ओर निहारती नज़रे
शांत समुन्दर की मस्त लहरे
बरबस ही उनकी याद दिला जाती है
उनको भूलने की नाकाम कोशिश

फ़िर मन में एक आस जगा जाती है
मन फ़िर मन नहीं रहता
प्रेम में वशीभूत हो जाता है
आसमान की उँचाईया छूने लगता है
प्यार कि खुशबू महकने लगती है
सांसे कुछ तेज चलने लगती है
बंद आँखे प्यार का लम्हा जीने लगती है
होंठ उनके नाम से कंपकपाने लगते है
अहसास फिर से मचलने लगते है

उनकी याद आज भी
अपने करीब ले जाती है.


- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
अबु धाबी,यूएई
(एक पुरानी रचना)
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