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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

वक्त करवट लेता गया


वक्त करवट लेता गया

हर बीते पलो को समेटने लगा

संकुचित मन से वक्त को देखा

पीड़ा का अहसास उसमें पाया



दुखते और सुलगते घावों को

असहाय सा इस दौर में पाया

समझ न सका वक्त का इशारा

अपने को सवालों से मजबूर पाया



जीने कि चाह मे उठते गिरते स्वर

पल - पल वेदना के चुभते खंजर

सुख में ईश्वर का ध्यान हर पल आया

इस बार आंख ना उससे मिला पाया



इन सब के बीच कम हुआ न तेरा प्यार

हर पल संभालते रहा तेरे प्रेम का संगीत

साहस और शक्ति देता रहा तेरे प्यार का गीत

हर हार में भी महसूस की मैंने अपनी जीत

-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
(पुराने ब्लाग से ली गई रचना)


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