सोचा न था
जिंदगी एक ख्वाब है
ख्वाब नासुर बन जायेगे
सोचा न था
दोस्ती एक अहसास है
अहसास भी यूँ बिखर जायेगे
सोचा न था
प्रेम एक विश्वास है
विश्वास भी यूँ टूट जायेगा
सोचा न था
समाज एक आईना है
आईना भी सूरत बदल देगा
सोचा न था
देशभक्ति एक ज़ज्बा है
जज़्बात भी अब बिकने लगगे
सोचा न था
सयुंक्त परिवार एक आदर्श है
आदर्श भी अब मुँह चिढाने लगेगे
सोचा न था
हिन्दुस्तान की अपनी संस्कृति है
संस्कृति का भी लोग मज़ाक उडायेगे
सोचा न था
आजादी में भी हाथ था शहीदो का
शहीदो को ही अब हम आंतकवादी कहेगे
सोचा न था
नेता जनता का प्रतिनिधि होता है
प्रतिनिधि ही अब जनता को लूटेगा
सोचा न था
एक दूजे के भावो मे थे हम और आप
आप अब किसी के हाथो की कठपुतली बन गये
सोचा न था
वादा था कि खोने न देगे अपना आज
आज आपने दूर होकर अपनी सोच बदल ली
सोचा न था
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी, यूएई
०५.०८.२०१०
सवाल तो बहुत सारे उठा दिए हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग में इतना कुछ डाउन लोड किया हुआ है इसे खोलने में ही बहुत समय लग जा रहा है ।
जी और अब समय आ गया है कि आत्म चिंतन किया जाए ..आखिर इस सब का जिम्मेदार कौन ...
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