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शनिवार, 31 जुलाई 2010

दोस्ती का दिन ...


सुना है लोग दोस्ती का दिन मना रहे है
ये कौन सा रिश्ता है जो आप भुना रहे है

ये रिशता नही मोहताज किसी दिन का
हर पल जिया जाये ये रिश्ता दोस्ती का

दोस्ती में है ना कोई सीमा
ये तो है जीवन भर का बीमा

ये रिश्ता सब रिश्तो से अनूठा है
इस रिश्ते मे भाव ना कोई छूटा है

दोस्ती आईना है सही - गलत का
दोस्ती माईने  है प्यार मोहब्बत का

ना तो दोस्ती कंही हमे है सिखाई जाती
लोगो को इसकी सूरत नही है दिखाई जाती

बदल जाते है कुछ अपने अहसास
जब दोस्त अपना बने  कोई खास

ये ना देखे उम्र ना शक्ल ना कुछ और्
दोस्त बने मां-पिता, भाई-बहन या कोई और

मिल जाये या बन जाये जब कोई दोस्त अपना
लगे येसे जैसे पूरा हुआ हो कोई अपना सपना

आप लोग अपने सब दोस्तो के साथ ये दिन मनाये
हम तो अपने दोस्तो से अब अपनी दोस्ती निभाये।

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल , अबु धाबी, यूएई
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