मेरे चारो ओर है
सुन्दरता की चादर ओढे
धरती और आकाश
मै फिर भी अकेला
पहले
मै भी इस सुंदरता
का प्रतीक था
सावन का रंग
मुझ पर भी चढता था
हर कोई मेरी
बात भी करता था
मेरे फुलो और पत्तियो
को अपना बनाता था
बंसत भी
मुझ से शरमाता था
छांव का आसरा
पथिक मुझमे
ढूढा करता था
अब
समय बदल गया
मै वह नही रहा
मेरी खुशिया
मेरी उम्र के साथ
कुछ मैने
कुछ अपनो ने
छीन ली
अब मै
निसहाय मौन
खडा हूँ
सूख गई है काया
ना मोह ना माया
अब किसी को
मै न भाया
फिर भी अपनी
पहचान छोडे जा रहा हूँ
जब तक आप
रखना चाहते है
नही तो उखाड फैंकना
हर उस तस्वीर से
जिसमे मेरा
अभी कुछ अंश बाकी है
अकेला था
अकेला हूँ
फिर भी
आपके सामने हूं
जब तक रख सको
सहेज सको
संवार सको
या फिर
अलविदा कह दो!!!!
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी यूएई