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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

अकेला


मेरे चारो ओर है
सुन्दरता की चादर ओढे
धरती और आकाश
मै फिर भी अकेला

पहले
मै भी इस सुंदरता
का प्रतीक था
सावन का रंग
मुझ पर भी चढता था
हर कोई मेरी
बात भी करता था
मेरे फुलो और पत्तियो
को अपना बनाता था
बंसत भी
मुझ से शरमाता था
छांव का आसरा
पथिक मुझमे
ढूढा करता था



अब
समय बदल गया
मै वह नही रहा
मेरी खुशिया
मेरी उम्र के साथ
कुछ मैने
कुछ अपनो ने
छीन ली
अब मै
निसहाय मौन
खडा हूँ
सूख गई है काया
ना मोह ना माया
अब किसी को
मै न भाया
फिर भी अपनी
पहचान छोडे जा रहा हूँ
जब तक आप
रखना चाहते है
नही तो उखाड फैंकना
हर उस तस्वीर से
जिसमे मेरा
अभी कुछ अंश बाकी है

अकेला था
अकेला हूँ
फिर भी
आपके सामने हूं
जब तक रख सको
सहेज सको
संवार सको
या फिर
अलविदा कह दो!!!!

- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी यूएई

बुधवार, 25 अगस्त 2010

अक्षर अगर शब्द बन जाये

अक्षर अगर .....
लफ्ज़ो से कुछ कहना चाहा उनसे, लफ्ज़ो ने साथ छोड दिया
हमने उनको चाहा "प्रतिबिम्ब"  उन्होने हमारा साथ छोड दिया


अक्षर ....
अक्षर कुछ नही बस अक्षर है
अक्षरो से कुछ होता नही असर है
बिखरे अक्षर समझा नही पाते है
जुड जाये तो बात बना देते है
भावो के लिये अक्षरो का मिलना जरुरी है
फिर अक्षरो का भावो मे ढलना जरुरी है

अक्षर अगर...
अक्षर अगर शब्द बन जाये
शब्द अगर भाव बन जाये
शब्द अगर प्यार बन जाये
शब्द अगर इज़ज्त बन जाये
शब्द अगर इंसानियत बन जाये
शब्द अगर देशभक्ति जगाये
शब्द अगर दोस्त बन जाये
शब्द अगर रिश्ते बन जाये
शब्द अगर समाज बन जाये
शब्द अगर दुशमन बन जाये
शब्द अगर तक्दीर बन जाये

अक्षर अगर शब्द.....
शब्द फिर भी अधूरे है
जब तक इनमे मन से विश्वास ना हो
जब तक इसमे मन से समर्पण ना हो
जब तक इसमे मन से  आदर ना हो
जब तक इसमे मन से  काम न हो
जब तक इसमे मन से  भाव न हो

अक्षर तब  शब्द बन ....
अक्षर तब  शब्द बन जाते है
जब आपकी बातो से सोच बदलने लगे
जब आपकी बातो से समाज जुडने लगे
जब आपकी बातो से ज़ज़्बात उभरने लगे
जब आपकी बातो से परिवर्तन आने लगे
जब आपकी बातो से महक फैलने लगे

अक्षर तब  शब्द बन जाते है!!!!!!!!

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, अबु धाबी, यूएई

मंगलवार, 24 अगस्त 2010

पागल कहती है ये दुनिया


पागल कहती है ये दुनिया
बूझे ना कोई मेरी बतिया
काटे नही कटती ये रतियाँ
बस जमाना बढाये दूरियाँ

पागल कहती है मुझे ये दुनिया

दिल मे बसे मेरे कुछ सपने
चाहू बस कुछ दिल से अपने
रट लगाये तो लोग लगे कहने
पागल है ये और इसके सपने

पागल कहते है मुझे मेरे अपने 

टूट कर चाहना भी पागलपन मेरा
इसमे लुट जाना भी पागलपन मेरा
भरोसा किया, था पागलपन मेरा
अहसास जताया,था पागलपन मेरा

ले डूबा मुझे ये पागलपन मेरा

दोस्त समझा, था पागलपन मेरा
अपना समझा, था पागलपन मेरा
समझाना अपनो को, था पागलपन मेरा
जगाना सबको चाहा, था पागलपन मेरा

आप को अपना बनाया, था पागलपन मेरा

आज मेरा सीधापन बन गया मेरा पागलपन
आज मेरा स्नेह बन गया मेरा पागलपन
आज मेरा कुछ कहना बन गया मेरा पागलपन
आज मेरा अनुभव बन गया मेरा पागलपन

फिर भी सबसे अलग है मेरा पागलपन


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, अबु धाबी, यूएई




रविवार, 22 अगस्त 2010

रेखा सीमा की......




सीमा क्या होती है
जो हद मे रहना सिखाती है
पहले मालूम न था
सोचता था मै
रिश्तो की सीमा 
उसके नाम से शुरु होती है
उस नाम के साथ रहती है
हर पल उसमे जीना
आदत सी थी

लेकिन अब समझ पाया
सीमाये दोस्ती की 
सीमाये प्यार की 
सीमाये मर्यादा की
सीमाये रिश्तो की 
सीमाये हक की
सीमाये अपनो की

इन सीमाओ पर 
अब रेखा खिंच चुकी है
एक रेखा 
जो आप को आपका 
स्थान दिखाती है
आप कौन है
आपका चेहरा दिखाती है
आपको जिदंगी की हकीकत से 
रुबरु करवाती है लेकिन 
भावो से दूर ले जाती है

अब एक रेखा सीमा तय करती है
आप कितने पास कितने दूर है
अब एक रेखा सीमा तय करती है
आप की बातो की इज़ज्त कितनी है
अब एक  रेखा  सीमा  तय करती  है
आप के सच्चे ज़ज़्बात कितने झूठे है
अब  एक  रेखा  सीमा  तय करती है
आप उस रिश्ते की मर्यादा से बाहर है

रेखा सीमा की आज फिर खिंच चुकी है

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल , अबु धाबी, युएई

मुझसे पूछ लेना ....


जिंदगी मे.....

दोस्त और दोस्ती की कहानी
मुझसे पूछ लेना
वफा और बेफाई का सबब
मुझसे पूछ लेना

कल और आज की कहानी
मुझ से पूछ लेना
आज और कल की तन्हाई
मुझ से पूछ लेना

विश्वास और अविश्वास की कहानी
मुझ से पूछ लेना
प्यार और नफरत की दास्तां
मुझ से पूछ लेना

चेहरे और नकाब की कहानी
मुझसे पूछ लेना
फूल और कांटे की जुबानी
मुझ से पूछ लेना

दोस्त और दुशमन की कहानी
मुझ से पूछ लेना
सांस और आस की रवानगी
मुझसे पूछ लेना

दिल जुडने और टूटने की कहानी
मुझ से पूछ लेना
आंसू और दर्द की रिश्ता
मुझ से पूछ लेना

ख्वाबो और हकीकत की ये कहानी
मुझसे मत पूछ लेना
लिखे को पढना और समझना
मुझसे मत पूछ लेना

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, अबु धाबी, यूएई
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