जिंदगी दो पल की....
दो पलो "जिंदगी और मौत"
के बीच का सफर लंबा होता है
या फिर छोटा होता है
जो हमें तय करना है
इन दो पलो को......
आकार हम देते है
भावनाये हम भरते है
प्रेम हम जताते है
घृणा हम फैलाते है
दुश्मनी हम करते है
इन दो पलो में....
जीवन हम बनाते - संवारते है
अपने हम बनाते - बिगाडते है
रिश्ते हम बनाते - तोड़ते है
मै और स्वार्थ का रिश्ता जोडते है
आओ इन दो पलो मे.....
जिंदगी अगर आईना है
तो आओ इन दो पलो मे
अपनी सूरत संवार ले
प्यार अगर जिंदगी है
तो आओ इन दो पलो मे
प्यार का रंग भर दे
जिंदगी अगर खेल है
तो आओ इन दो पलो मे
इंसानियत का खेल खेले
जिंदगी अगर एक न्यौता है
तो आओ इन दो पलो मे
हर न्यौता सहर्ष स्वीकार करे
जिंदगी अगर एक ताकत है
तो आओ इन दो पलो मे
अपनी एकता का प्रमाण दे
जिंदगी अगर एक सोच है
तो आओ इन दो पलो मे
अपनी सोच को नया आयाम दे
जिंदगी अगर एक पूजा है
तो आओ इन दो पलो में
श्रद्धापूर्वक अर्चना करे
जिंदगी अगर एक विश्वास है
तो आओ इन दो पलो मे
आत्मविश्वास को जागृत करे
जिंदगी अगर एक कार्य है
तो आओ इन दो पलो में
ईमानदारी से कार्यो को अंजाम दे
जिंदगी अगर एक यज्ञ है
तो आओ इन दो पलो में
घृणा और स्वार्थ की आहुति दे
मुस्कराना अगर जिंदगी है
तो आओ इन दो पलो में
जिंदगी भर ले दोस्तो
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल , आबु धाबी, यूएई
१५.०९.२०१० बुधवार