पृष्ठ

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

मैं


मै भीड में
खो सा गया
तलाशा तो जाना
मै खुद से
अलग हो चुका हूँ

मेरा अस्तित्व
अब नही रहा
मेरा मक्सद
मुझसे रुठ गया
मै कौन हूँ
प्रश्न भी न पूछा गया

मन का एक कोना
खाली सा लगा
जंहा हर तरफ
शोर तो है
पर कान नही
हर तरफ आंखे तो है
पर चेहरा नही
शब्द तो है
पर पढने वाला नही
प्यार तो है
करने वाला कोई नही

राही है पर  रास्ता नही
दोस्त है पर दोस्ती नही
भीड है पर लोग नही
फूल है पर महक नही
तारे है पर आसमा नही
तीर है पर कमान नही

आखिर कब तक
खुद से समझौता
दूसरो से रिश्ता
अपनो से नाता
लेकिन
अब बंद हुआ खाता
हर कोई
किसी को नही भाता
फिर मै कौन?

अब खुद को खुद में
तलाशने का वक्त आया है
वक्त ने अब समझाया है
ये असल  नही माया है
कभी धूप कभी छाया है
समझने का वक्त आया है

अस्तित्व को अपने
पुन: जगाने का वक्त  आया है
इसलिये आज
इस राह को अपनाया है
कल शायद आपसे
फिर मुलाकात हो जाये
फिलहाल तो
जाने का वक्त आया है

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...