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सोमवार, 27 दिसंबर 2010

आग


जलना या जलाना है इसका स्वभाव
दहनशील पदार्थ है छोडती अपना प्रभाव
बुझती है जब आक्सीजन का हो अभाव
लेकिन रोशनी और क्षति है इसका भाव

घर्षण से पैदा होती है चिंगारी
चिंगारी से जलती/बढती है ये आग 
हवा और ज्वलनशील वस्तु बढाते है आग
पानी और मिट्टी से बुझती है आग 

आग पवित्र है हमारी आस्था बनकर
कही जोत, कंही सतत अग्नि बनकर
कंही रोशन करती है रोशनी बनकर
कंही विज्ञान में है सहायक बनकर

वीरो के सीने में भी जलती है आग
क्रोध में भी शब्द उगलते है आग
दुश्मनी में भी एक हथियार है आग
जीवन में भी एक जरुरत है आग 

कभी आस है आग, तो कभी है विनाश
कभी दाह है आग, तो कभी है प्रकाश 
कभी त्यौहार है आग, तो कभी है द्वेष
कभी गवाह है आग, तो कभी है क्लेश

संस्कृति, जीवन और विज्ञान 
आग का है हर पल योगदान 
प्रयोग करे, दे इसे मान सम्मान
रिश्तो मे जोड ना करे अपमान
              
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

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