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सोमवार, 24 जनवरी 2011

तेरा जिक्र




हर बात पर तेरा जिक्र जरुरी है
वरना मेरी कही हर बात अधूरी है

अगर शब्द बन कर तेरा नाम ले पाऊँ
लिखते हुये मन में तेरा जिक्र कर जाऊँ

तेरी दूरी का अहसास कभी होने नही देता
तेरा जिक्र मुझे कभी तन्हा होने नही  देता

कुछ ख्याल उनका कुछ जिक्र उनका
वक्त जब तब याद दिलाता है उनका

तेरा जिक्र किया तो हाज़िर जबाबी कहलाये
समझने वाले इसे भी  लाज़बाब कह गये

जिक्र करता हूँ तेरा चेहरा आंखो में आता है
तेरे अहसास से चेहरा फूल सा खिलने लगता है

मेरी दुआओ मे भी तेरा जिक्र आता है
ख्यालो मे भी पहले तेरा नाम आता है

खुश हो जाता हूँ जब साथ तेरा होता है
वंहा भी हर बात में जिक्र तेरा होता है

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

2 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी दूरी का अहसास कभी होने नही देता
    तेरा जिक्र मुझे कभी तन्हा होने नही देता
    waakai

    जवाब देंहटाएं
  2. तेरी हर बात पर तेरा जिक्र जरूरी है
    वर्ना मेरी कही हर बात अधूरी है....
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...जय हो आपकी....

    जवाब देंहटाएं

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