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गुरुवार, 27 जनवरी 2011

यथा राजा तथा प्रजा




यथा राजा तथा प्रजा, सुनी थी कभी ये कहावत
आज देख रहे है सरकार और प्रजा की हकीकत
भ्रष्टता, घूसखोरी का दामन थामे गुजरता दिन
वादो की झडी लगती रोज, बीत जाता हर दिन

संसद बंद काम ठप्प, एक दूजे पर करते रहते वार
जनता की सोचे कौन, जब फले फूले अपना परिवार
खेल,खाद्दय,सूचना-प्रौद्योगिकी या सेना जैसे विभाग
कोई भी मंत्रालय नही जिस पर करे हम अभिमान

न्याय व्यवस्था लचर है, मिलने मे लगते सालो साल
इसका फायदा उठाते है आंतकी, खूनी और सारे चंडाल
कोसो इनको,कोई नाम दो,चाहे करो स्टिंग आपरेशन
सारे जतन करते, फिर भी नही रेंगती जूँ इनके कान

किसान तडप रहा, जनता का निकला दिवाला है
वादे करते है जैसे आज ही सब बदलने वाला है
चाहे जितना लिखो करो कितने भी व्यंग्य बाण
सुनते सब समझते सब है फिर भी अचेत प्राण

अब तो कोई दवा येसी निज़ाद होनी चाहिये
जितनी जरुरत उतनी ही चाह उत्पन्न होनी चाहिये
ना भर सके एक तिजोरी दूसरे का हक ना छीने कोई
प्रेम बस उपजे इससे, खाली पेट ना सोये कोई.....

- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

बुधवार, 26 जनवरी 2011

आज गणतंत्र दिवस है .....





आज   61 का हुआ अपना गणतंत्र
सोचो क्यों भ्रष्ट हुये इसके कुछ तंत्र

तिंरगा लहराना  हमारी देशभक्ति का बोध है
तिंरंगा फहराना  बना आज क्यों अपराध है

आज तिंरगा भारत में फिर लहरायेगा
सबको भारत आज खूब याद आयेगा

आज तिरेंगे की कहेगे सब एक नई कहानी
कभी कहेंगे अपनी तो कभी दूजे की जुबानी

बहुत पुराना है तिरंगे का इतिहास
ये रंग हैं शान्ति, प्रेम और साहस

भारत की सीमाओ का ये प्रहरी है
इससे प्रेम व सम्मान देना जरुरी है

राजनीति इसका मक्सद ना बन पाये
आओ देश हित मे सब एक हो जाये

जय हिंद !!!!!!

- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल

सोमवार, 24 जनवरी 2011

तेरा जिक्र




हर बात पर तेरा जिक्र जरुरी है
वरना मेरी कही हर बात अधूरी है

अगर शब्द बन कर तेरा नाम ले पाऊँ
लिखते हुये मन में तेरा जिक्र कर जाऊँ

तेरी दूरी का अहसास कभी होने नही देता
तेरा जिक्र मुझे कभी तन्हा होने नही  देता

कुछ ख्याल उनका कुछ जिक्र उनका
वक्त जब तब याद दिलाता है उनका

तेरा जिक्र किया तो हाज़िर जबाबी कहलाये
समझने वाले इसे भी  लाज़बाब कह गये

जिक्र करता हूँ तेरा चेहरा आंखो में आता है
तेरे अहसास से चेहरा फूल सा खिलने लगता है

मेरी दुआओ मे भी तेरा जिक्र आता है
ख्यालो मे भी पहले तेरा नाम आता है

खुश हो जाता हूँ जब साथ तेरा होता है
वंहा भी हर बात में जिक्र तेरा होता है

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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