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शनिवार, 11 जून 2011

जागो भारत जागो देखो - अशोक राठी




[ मित्र  अशोक राठी जी द्वारा रचित एक रचना ]

जागो भारत जागो देखो
आ पहुंचा दुश्मन छाती पर
पहले हारा था वो हमसे
अब फिर भागेगा डरकर  
शीश चढ़ाकर करो आरती
ये धरती अपनी माता है
रक्तबीजों को आज बता दो
हमें लहू पीना आता है
नहीं डरेंगे नहीं हटेंगे
हमको लड़ना  आता  है |


काँप उठा है दुश्मन देखो
गगनभेदी हुंकारों से
डरो न बाहर आओ तुम
लड़ना है मक्कारों से
आस्तीन में सांप पलें हैं
अब इनको मरना होगा
उठो जवानों निकलो घर से
शंखनाद अब करना होगा
देखो घना कुहासा छाया
कदम संभलकर रखना होगा
वीर शिवा, राणा की ही
तो हम सब संतानें हैं
कायर नहीं , झुके न कभी 
हमने परचम ताने हैं |

अबलाओं, बच्चों पर देखो
लाठी आज बरसती
हाथ उठे रक्षा की खातिर
उसको नजर तरसती
जागो समय यही है
फिर केवल पछताना होगा
क्या राणा को एक बार फिर
रोटी घास की खाना होगा
माना मार्ग सुगम नहीं है
दुश्मन अपने ही भ्राता हैं
लेकिन मीरजाफर, जयचंदों को
अब तो सहा नहीं जाता है
ले चंद्रगुप्त सा खड्ग बढ़ो तुम
गुरु  दक्षिणा देनी होगी
महलों में मद-मस्त नन्द को
वहीँ समाधि देनो होगी |

चढ़े प्रत्यंचा गांडीव पर फिर
महाकाली को आना होगा
सोये हुए पवन-पुत्रों को
भूला बल याद दिलाना होगा
बापू के पथ पर चलने वाले
हम सुभाष के भी अनुयायी
समय ले रहा करवट अब
पूरब में अरुण लालिमा छाई
आज दधीचि फिर तत्पर है
बूढी हड्डियां वज्र बनेंगी
और तुम्हारे ताबूत की
यही आखिरी कील बनेंगी
सावधान ! ओ सत्ता-निरंकुश
अफजल-कसाब के चाटुकारों
राष्ट्र  रहा जीवंत सदा यह
तुम चाहे जितना मारो | 

गुरुवार, 9 जून 2011

मैं राहुल बाबा



अगर राहुल जी से आज सच बोलने को कहा जाये और वे आंखे बंद करके 
सच कहने का फैसला करें तो कुछ इस तरह सच सामने आएगा - एक चिंतन

कांग्रेसियों का दुलारा, हूँ सोनिया माँ का लाल
जो मिल रहा, ये तो है गांधी के नाम का कमाल
मैं युवराज गांधी हूँ, राहुल बाबा कहलाता हूँ
सब आगे पीछे घूमे, येसे जतन मैं अब करता हूँ
कांग्रेसी नेता मुझे धकेल रहे है, अब थोड़ा दिखने लगा हूँ
माँ का साथ मुझे मिलने लगा,अब कलावती ढूढ़ने लगा हूँ
मीडिया को फुसला कर गरीबो संग फोटो  खिंचाने लगा हूँ
पारसौल में आवाज उठा,देखो मैं अब राजनीति करने लगा हूँ
जहां फाइदा अपना हो उसको अब मैं समझने लगा हूँ
रण नीति कांग्रेस की अपने नेताओ से सीखने लगा हूँ

राजनीति पर हमारा जन्म से अधिकार है
इसलिए तो आज भी भारत मे सरकार है
नेहरू - इन्दिरा की विरासत को अब तक संभाले है
राजीव - संजय की वसीयत के बस हम रखवाले हैं
हमारे नाम के बिना कांग्रेस का एक पत्ता हिलता नही
प्रधानमंत्री हो या नेता, कोई एक कदम भी चलता नही
ये इसलिए नही कि हम लोग कुछ काम के है
बल्कि सब यहाँ तो चाटुकार हमारे नाम के है
शहीद हमने अपनी नानी और पापा को बनवाया है
तब और अब हमने कांग्रेस का अस्तित्व बचाया है
गलतियाँ उन्होने की उसका खुद नतीजा पाया था
उनकी निर्मम हत्या को तब खूब हमने भुनाया था
गरीबी का नारा देकर जनता को हर पल लूटा है
अल्प्सख्यकों के भाव को भुना कर चुनाव जीता है
माँ ने त्यागा था तब पद, क्योंकि जन्म नही था भारत का
साकार हुआ लक्ष्य हमारा, उन्हे त्याग की मूर्त बनाने का

लेकिन अब तो हमे जनता से ख़ासी शिकायत है
पता नही क्यो हमारे चुंगल से निकलती जाती है
अपने कुछ  नेताओ को ,अब हमने  ये हिदायत दे दी है
कड़वा बोलो उसे, जिसने कहने की कुछ हिमाकत की है
भ्रष्टाचार  को भूले जाएँ सब, बात करो येसे हालत की
याद दिलाओ तुम सबको जाकर अब आपातकाल की
कर्मो का हिसाब मांगे तो घोलो ज़हर सांप्रदायिकता का
अगर कसर रह जाये कोई तो याद दिलाओ गुजरात की
हमारे अब खिलाफ जो  बोले उसे भगवा रंग मे जोत दो
बस गांधी नाम उनको रटवा दो, कहो बस हमको वोट दो
उम्मीद है इस जनता को फिर से हम बेवकूफ बना पायेंगे
माँ बेटे कुछ ना कर पाये तो अगली बार बहना को लायेंगे
वह आयेगी जब तो जनता भी देख उसे फिर खुश हो जायेगी
हम गर ना कर पाये लेकिन वो जनता के भावो से खेल जायेगी

- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल 

बुधवार, 8 जून 2011

आम आदमी अब तैयार है




एक सच तेरा
एक सच मेरा
एक सच हमारा
सुने सत्य हमारा

गिर चुका ईमान
बिक रहा इंसान
बन गया हैवान
यह हमारी पहचान

देश प्रेम शब्दों में है
अपने से केवल प्यार है
दूसरे के लिए  विचार है
जुड़ गया मुझमें अहंकार है

धर्म की आंखे लेकर
राजनीति की आड़ में
भाषा की मर्यादा भूले
हकीकत से हम जुदा हुये

सत्याग्रह भारत का चेहरा था
आज इस पर भी लगा पहरा है
अहिंसा का पाठ विश्व को पढ़ाया
हिंसा को अब अपनी ढ़ाल बनाया

नेता बना आज अभिनेता है
जनता को मूर्ख बनाता है
जिसके हाथो गद्दी पाता है
उसी को कुचलता जाता है

जनता अभी मौन है
उसकी सुनता कौन है
अब समय की ललकार है
आम आदमी अब तैयार है 


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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