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शनिवार, 20 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार - जनता - अन्ना

[भ्रष्टाचार - जनता - अन्ना ]


मूल भूत अधिकारो का हनन एक अपराध है
सवेंधानिक अधिकारो का हनन गैर कानूनी है

रोटी, कपड़ा और मकान,  ये हैं जीवन के आधार
यदि न हो पूर्ण तो, फैलता है जीवन मे भ्रष्टाचार

व्यवसाय से जुड़ गये है जो आज हमारे सारे तंत्र
खतरे मे है आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र

व्यवस्था में व्यवसाय का हो गया है यहाँ जो मेल
इसलिए देखो भ्रष्टाचार का नित चलता हैं यहाँ खेल

लोग राजनीति मे आते है धन को खूब लुटा कर
बनकर ये नेता लूटते है खूब जेब भर - भर कर

नेता, अफसर व कर्मचारी दलाली ले खूब धन जोड़ते है
रिश्वत ले सब अपनी खातिर सभी नियमो को तोड़ते है

काला - धन भी भ्रष्टाचार का ही एक प्रमुख अंग है 
इन दोनों मुद्दो पर ही हिंदुस्तान की जनता संग है

लोकपाल बिल नेताओ और नौकरशाहों को बस बचाता है
जनलोकपाल बिल नीचे से ऊपर तक सबकी खबर लेता है

अब तक जनता घुट रही थी इस भ्रष्टाचार से अपने मे
अन्ना ने अब राह दिखाई युवाओ को इससे निपटने मे

भ्रष्टाचार के विरोध मे चली अब जनता मे एक आंधी है
भारत के युवाओ ने देखा अन्ना में आज दूसरा गांधी है

भ्रमित जनता के भीतर एक विश्वास जगाया अन्ना ने है
अहिंसा की ले मशाल जाग उठा जन - जन में अन्ना है

      -प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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