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शनिवार, 17 मार्च 2012

एक नज़र आयें.....




माना की
तुम्हारा कद
मुझसे ऊंचा है
प्यार में
ज्ञान में
अनुभव में
विचारो में
सोच में
उम्र में

पर शायद
तुम भूल गए
ईश्वर ने ही
हमें जीवन दिया
तुम्हारा व्यक्तित्व
अलग जरूर है
पर हमारा
दाता एक है
रगो में बहता खून
भी एक है
फिर क्यों दूर
मुझसे रहते हो
फिर क्यों अलग
होने का दिखावा करते हो
जान कर भी
अंजान बनते रहते हो

चलो आज से
हम एक नज़र आयें
एक ही डाल के
फूल बन महक जायेँ

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

2 टिप्‍पणियां:

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