पहले
साथ था
उठते
बैठते, खाते पीते
हँसते
लड़ते, सोते जागते
हर
हार मे, हर जीत मे
हर
सुख मे, हर दुख मे
रात
के अंधेरे मे, सुबह की किरणों मे
दिन
के उजाले मे, सांझ के ढलने मे
कितनी
बार रोकना चाहा
खुशी
को,
जाने
वाले को
जीत
को,
प्रेम
के पलो को
पर
हर बार नाकाम रहा
कितनी
बार बदलना चाहा
कुछ
फैसलों को
कुछ
लम्हों को
बहुत
सी घटनाओं को
बहुत
सी समस्याओं को
लेकिन
टस से मस न हुआ
और
अब खुद ही
हमसे
अलविदा कह गया
केवल
याद बन कर रहेगा
खोया
पाया के सवाल बनकर
वक्त
के हाथो फिर से सौंपकर