[एक पुरानी रचना - आज विजय दिवस पर शहीदो को समर्पित ]
लहू के दो रंग एक गम है तो एक खुशी
वतन पर कुर्बान होते है शहीद खुशी खुशी
दुख झेलकर हमे देते रहे वो सारी खुशी
आज़ादी को खून से सीचा उन्होने खुशी खुशी
हमारा खून अभी सस्ता नही हुआ है
उस मां से पुछो जिसने बेटा खोया है
समेट दुख के आंसू अर्थी पर फूल चढाये है
देश की खातिर आंचल को अपने कफन बनाया है
इतिहास गवाह है, पन्ने खून से है रंगे हुये
हमे आज़ादी देकर खुद है धरती मे सोये हुये
धन्य है येसे वीर जो शहीद हुये वतन के लिये
जिसकी खातिर कुर्बानी दी उसी मे है लिपटे हुये
धर्म और कर्म की खातिर भी खून बहाया है
दे लहू इन वीरो ने धर्म और समाज को बचाया है
बहा खून इतिहास मे नया अध्याय बनाया है
होकर फ़ना हमें जीने का नया रास्ता दिखाया है
जय हिंद !!!!! नमन शहीदो को
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल