पृष्ठ

मंगलवार, 13 नवंबर 2012

रास्ते बदल गये : कमलेश चौहान ( गौरी)


रास्ते बदल गये : कमलेश चौहान ( गौरी)

Legal action will be taken if any line, words will be manipulated, exploited from above Poem
 


माना कि ये उस मालिक का दस्तूर है
कुछ पल सब कुछ है
कुछ पल देखो तो कुछ भी नहीं

कल जो दिल के करीब था, आज भी है
अब, सात समुद्र पार है
कल जो अपना था वो आज कहीं नहीं

ओह ! हम बहक गए थे किसी की बातों से
कैसे कटेगी ज़िन्दगी
मत पूछो जिसकी हमें खबर नहीं

चाँद महका था अमावस की रातों के बाद
वो कौनसी थी रात थी
मुझसे मत पूछो अब कुछ याद नहीं

उसने न जाने अनेकों नाम लिख दिए थे
अपने दिल पे
मेरा नाम याद रहे, यह जरूरी तो नहीं

दो रोज़ का हंसना हंसाना, गुनगुनाना
हसीं वादियों में
अब वो सर्द राते परायी है मेरी नहीं

भूली बिसरी यादों, दिल में बसेरा मत करो
वो जो निकला बेवफा
उस दोस्त का नाम दोहराना कोई ज़रूरी तो नहीं

लेखिका - कमलेश चौहान (गौरी)
All rights reserved with " Saat Janam Ke Baad" @ Kamlesh Chauhan(

सोमवार, 12 नवंबर 2012

आई दीवाली





राम लौट आया है
पिता की आज्ञा का पालन कर
रावण [बुराई] का वध कर
हाँ राम घर लौट आया है

रामायण एक कथा है एक लीला है
कुछ सिखलाने की खातिर
हर रिश्तों का इसमे उपयोग किया
अच्छे बुरे का भेद समझाकर
अच्छे को अपनाओं का संदेश दिया
आज भी अपनी स्वार्थ पूर्ति की खातिर
बुराई को जाने क्यों हमने अपना लिया
कुतर्क साध, भाव को खंडित कर
सिया राम के रिश्तो का अपमान किया
अच्छाई अपना न सके किन्तु
मूल भाव को तोड़, खूब इसका इस्तेमाल किया

आओ फिर दिये जलाए
वातावरण को जगमगाए
हर साल की तरह
इस साल भी आओ दिया जलाए

त्यौहार की खुशियों संग
आओ कुछ अपना ले
प्रेम - माँ और बेटे का
प्रेम - बेटे और पिता का
प्रेम - पति और पत्नी का
प्रेम - भाई और भाई का
प्रेम - भक्त और भगवान का
प्रेम - दोस्त और दोस्त का
धर्म - एक राजा का
कर्म - एक क्षत्रिय का
ज्ञान - एक कथा का
अंत  - एक बुराई का

एक दिया मन मे भी जला लेना
सच,  ईमानदारी और इंसानियत का
स्नेह - आदर और विश्वास का
दान - धर्म और भक्ति - भाव का

आओ मिल कर एक दिया जलाए
अहसास कराये जो 'हम'  होने का
एकता और सर्व - धर्म संभाव का

आओ मिलकर एक और दिया जलाए
धरती से स्नेह और राष्ट्र प्रेम का

~~ शुभं ~~
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...