मन में उभरते भाव
छेड़ देते है कोई घाव
किया जिससे किनारा
वही उस पल का सहारा
भूले बिसरे गीत जो बने
गुनगुना लेते है कभी उन्हें
नए बोल नए सुर से सजा
जीने का बहाना ढूंढ लेते है
बीता पल बिछड़ जाता है
आज से फिर मिल जाता है
कल के सुख की खातिर
आज को जीना भी जरुरी है
भूल जाते है लोग जिन्हें
याद करते है केवल उन्हें
जो साथ है हर पल 'प्रतिबिंब'
क्यों करे फिर याद उन्हें
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल