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शनिवार, 22 जून 2013

बाबा विनती तुझसे ....



बाबा इस कहर में भी, तेरा अस्तित्व आज यूं ही कायम है
जता दिया तूने आज भगवान और इंसान में अंतर क्या है
गलती जिसने भी की, दंड उसका तूने सबको दे ही दिया है
ली तूने बलि हजारो की, तेरे सिवाय वहां अब बचा क्या है

मंदाकनी के क्रुध प्रवाह को रोक तूने खुद को बचा लिया
खुद के मान सम्मान को तूने हमारी श्रद्दा से तोल दिया
कुछ को दी जिंदगी, कुछ को तूने अपनों से छीन लिया
लाखो करोडो भक्तो का तूने, श्रद्धा-विश्वास हिला दिया

श्रद्धा में शायद कमी हुई, दिखावा क्योंकि अब ज्यादा है
पवित्र स्थलों में प्रदूषण और चोर बाजारी अब ज्यादा है
प्रकृति व् पर्यायवरण को रख ताक, तेरा नाम भुनाया है
जंगल नदियों से खिलवाड़ का सबको सबक सिखाया है

अब रहम करना और इस कहर से तू सबको बचा लेना
हुई जो गलतियाँ हमसे, सुधार उन्हें तू रास्ता दिखा देना
प्रकृति व् भगवान का रिश्ता समझे अब तू शरण में लेना
अब रूठना नहीं यूं , हर विपदा से बाबा तू हमें बचा लेना

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
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