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शनिवार, 27 जुलाई 2013

सलाम टेलीग्राम


फेसबुक समूह 'तस्वीर क्या बोले' में लिखे गए भाव 


~सलाम टेलीग्राम~


सेम्यूल मोर्श की सोच ने विश्व को दी थी ये नई सौगात
दूर संचार में हुई क्रांति, जब टेलीग्राम का हुआ अविष्कार
२४ मई १८४४ को पहला टेलीग्राम वासिंगटन से बाल्टीमोर
संक्षिप्त में हर खबर पहुँचाने का फिर देश में हुआ विस्तार

छुट्टी आना हो, नौकरी मिलना हो या फिर हो कोई भी अवसर
टेलीग्राम से ही मिलता था तुरंत ही खुशी गम का हर समाचार
१६३ साल की संस्कृति को अब सदा के लिए लग गया विराम
इतिहास हुए अब मशीन की वो टूक-टूक-ट्रा, तारबाबू और तारघर

नई तकनीक का आना और फिर उसका यूं हमें विदा कहना
समझा गया हमें, जिन्दगी और रिश्तो का भी हाल यही होगा
चला गया उसे जाना था 'प्रतिबिंब', नई सोच को स्थान दे गया
अब म्यूजियम की शान बनेगा, टेलीग्राम तू हमें सदा याद रहेगा

[ https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/ ]

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

चलो जश्न मनाये .....



मैं आज गरीब नही हूँ
किसी को रहम आया
जलेबी ब्रेड मेरे नसीब में आया
आज मैं खुश हूँ
देश की ६५ सालो की गरीबी दूर हुई
गरीब का मूल्य ३० रुपये ठहराया
और गरीबी को आंकड़ो से दूर भगाया

चलो आओ खुशियाँ मनाये
दाल रोटी हम १२ रुपये में खाएं
अरे सरकारी नेताओ
फ़ूड सिक्योरिटी बिल पर क्यों करोडो लगाते?
जब ५ और १२ में खाना मिल जाता
गरीब और अल्पसंख्यंक आज भी वही खड़ा है
तुम्हारे वादों के अहसान तले ज्यों का त्यों दबा पड़ा है

पर अब मजाक करने की भी हद होती है
मार रहे हो हमें दिन प्रतिदिन महंगाई से
जलता है रोज कलेजा
उस पर नमक छिड़क रहे हो
उड़ा लो हमारी तुम खूब खिल्ली
चलो मान ली आपकी दरिया दिली
५ रुपये में मिलेगा भर पेट खाना
लेकिन ५ या १२ रुपये मैं कहाँ से लाऊं ???


-    -  प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

रविवार, 21 जुलाई 2013

हैल्लो जिन्दगी



नमस्कार जिन्दगी !
न जाने तुम कब आगे निकल गई
सुप्रभात, नमस्कार को छोड़ पीछे
अब तुम 'हैल्लो जिन्दगी' हो गई

अपनाया था अपना समझ
आज तुम पराई हो गई
खेल रही हाथो में उनकी
दौड़ पूर्व से पश्चिम की हो गई

खो दिया अपनी अमानत को
भारतीयता अब 'इन्डियन' हो गई
संस्कार और संस्कृति हमारी
शायद अब कोई भूली कहानी हो गई

सोचा था विरासत अपनी सौंप देंगे
पर ये पीढी खुद में सिमट कर रह गई
देखे थे सपने बहुतेरे पर जागे नही
जब जागे तो उम्मीदे सब स्वाहा हो गई

नमस्कार जिन्दगी !
अब तुम 'हैल्लो जिन्दगी' हो गई

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
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