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सोमवार, 21 जुलाई 2014

लिखना ....



शौक है मेरा लिखना
पढना तो तुम्हे है
समझना भी तुम्हे है
शब्दों और लय को
संगीत तुम्हे देना है
अर्थ और भावार्थ की
दूरी तुम्हे तय करनी है
दर्द या मोहब्बत को
तुम्हे महसूस करना है
अपराध और अपवाद का
भेद तुम्हे करना है
काले अक्षर और सफ़ेद पन्नो पर
रंग तुम्हे भरने है

हाँ यह निर्भर करता है
तुम्हारी उम्र पर
तुम्हारी सोच पर
तुम्हारे ज्ञान पर
तुम्हारे अनुभव पर
तुम्हारी संवेदनशीलता पर

मेरे शब्द जाल सरल है
मेरी सोच की तरह
मेरे नजरिये की तरह
मेरे अल्प ज्ञान की तरह
मेरे खट्टे मीठे अनुभव की तरह

मेरे दिल और दिमाग का
'प्रतिबिम्ब'
तुम्हे अपने मन - मस्तिष्क पर
प्रतिबिंबित करना है

मेरा शौक तो बस लिखना है
शब्दों को आप तक पहुंचाना है
अच्छा या बुरा यह आपको तय करना है  

2 टिप्‍पणियां:

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

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