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मंगलवार, 21 जनवरी 2014

'आप' की मेहरबानियाँ





अन्ना का लेकर समर्थन, आन्दोलन का फिर श्रीगणेश किया
भ्रष्टाचार जनलोकपाल था मुद्दा, जिसमे जनता का साथ पाया
देख उमड़ी भीड़,भावुक जनता से खेलने का फिर ख्याल आया
दिखा ठेंगा अन्ना को, सत्ता पाने का सुन्दर हमने अवसर पाया

चाल किसी की व् सोच किसी की, लेकिन रणनीति अपनी बनाई
आन्दोलन व्  धरना खूब किया, सोचा अब तो सत्ता की चाबी पाई
कोसा जिसे दिन रात  उसका ही सहयोग पा दिल्ली की सत्ता पाई
किए खोखले वादे जनता से, कैसे बचे इसकी हमने जुगत जुडाई

कांग्रेस ने गरीबो के भावो से खेला, हमने उस नफ्ज को पकड़ लिया
देखी जिस में राष्ट्रहित की सोच, उस रथ को दिल्ली में अब रोक लिया
देश को युग पुरुष न मिलजाए, इसलिए लोकसभा लड़ने का सोच लिया
दिल्ली में रणनीति अपने पर भारी, इसलिए धरना का हमने सोच लिया

गुमराह किया जनता को वादों से, कांग्रेस भाजपा को सत्ता पाने से रोक दिया
वादों के लिए जनता देख रही, लेकिन हमने देश पर राज का सपना देख लिया
कर नही सकते, हो नहीं सकते पूरे ये वायदे, यह हमने  कुछ दिन में समझ लिया
बिजली पानी का लोलीपोप थमा लोगो को, कांग्रेस भाजपा को हमने कोस दिया

मैं अराजक तत्व हूँ अब एलान किया,  देश जाए भाड में मंत्रियो का बचाव किया
गणतंत्र दिवस का बना कर मजाक, तोड़ कर क़ानून जनता को परेशान किया
घमंड, जिद्द और अड़ियलपन को अपना, अराजकता का रास्ता हमने दिखा दिया
जनता को भड़काना अब हमारा काम, विद्रोह आदत अब तो  'आप' ने दिखा दिया


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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