मेरे शहर की याद
ले आई तुम्हारे पास
तुमसे मिलना
मिलकर बिछड़ना
और हाँ याद आया
मिलन और विरह के बीच
शोर करती हुई खामोशियाँ
प्रेम के पन्ने बांचती आँखे खेलती खेल
तन मन में उभरते कोमल अहसास
तन मन पर लिपटती अहसासों की बेल
तन मन पर फैलती तुम्हारी खुशबू
आँखों में 'प्रतिबिंबित' होती हुई शरारत
गालो में अंकुरित चाहत के लाल पौधे
प्रकृति के सतरंगी रंग देते हुए साथ
अंगडाई लेती, कसमसाती ख्वाइश
तन मन में विद्दुत प्रवाह दौड़ता सा
स्पन्दन करती लहरों का समावेश
समुद्र की गहराई में छूटता पसीना सा
और फिर
मिलन में सम्पूर्णता की लिए आहट
बयाँ करती
अधरों में उभरती महकती मुस्कराहट
मेरे शहर की याद
मिलन से विरह के बीच
और फिर से
मिलन की चाह लिए .....
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल