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सोमवार, 20 जुलाई 2015

यादो का कोना



रिवायत बदली है
अब नजरिया बदल गया है  
जिन्दगी का मकसद
अब  बदल लिया है
तुम्हारे मन की बात
कोई और लिखने लगा है 
मुझसे ज्यादा तुम्हे
कोई और पहचानने लगा है


तुम्हारी खुशबू का एहसास लिए
समेट रहा हूँ तमाम  यादें
आवाज़ दे रहा हूँ खाली घर में 
पलट कर कोई बोलता नही
अपनी ही आवाज के शोर में
अब दम सा घुटने सा लगा है
गूँज रहे है कहकहे कहीं दूर
उठ रही टीस उस हर हंसी पर

बदल रहा हूँ
तुमसे जुडी आदते कुछ ख़ास
ढूंढ रहा हूँ
खोया हुआ हर छोटा अहसास
वो चाह, वो बैचनी
अब कही ओझल हो चुकी है
या फिर शायद
किसी कोने में दम तोड़ती मिले
हाँ यादो का हर कोना
मेरे बहुत करीब आ रहा है
शायद आखिरी बार

मिलन की चाह लिए ....... 

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

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