पृष्ठ

शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

कोरा ख़त






पल पल का साथ समझ बैठा था जिसे
उसने इंतजार का चौकीदार बना दिया हमें

बिन मिले हमसे, चैन न आता था जिसे
आज वो चैन से रहते है बिना मिले हुए हमें

तस्व्वुर में बना रहता है आना जाना उनका
दिल की बात कहे हुए अब जमाना हुआ हमें

उस नदिया की लहर बनने ख़्वाब था मन में
छोड़ पीछे उसने आज किनारा बना दिया हमें

एहसास दिल के लिख भेजा था ख़त उन्हें
उनकी दरियादिली देखो ख़त कोरा भेज दिया हमें

चाँद तारों में देखकर बात करता था जिससे
आज 'प्रतिबिम्ब' उसने ही खामोश कर दिया हमें 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...