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बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

तेरा मिलना





एक भीड़
बिखरी सी आस पास
तेरा  मिलना
बना गया लम्हें खास

वक्त चला
तेरा साथ मिलता गया
इश्क का
हर लम्हा जीता गया

मेरी मोहब्बत
वक्त का सवाल था
तेरी मोहब्बत
वक्त का जबाब था

कुछ पल
हमें बैचेन करने लगे
कुछ एहसास
तन मन बसने लगे

नया दौर
अपना सपना टूटने लगा  
हर पल
इंतजार में गुजरने लगा  

वक्त बदला
साथ फिर छूटने लगा
आज फिर
भीड़ में खो गया 

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