नहीं जानता कैसे
तेरी मुस्कराहट
मुझसे जुड़ गई
और तुम मेरी बन गई
चंद बातो से निकल
भावो में दिखने लगी
दिल में उतर कर
और तन मन में बस गई
अब तेरे बिन यूं तो
पल कोई कटता नही
सिमट कर मेरी बाहों में
न जाने कब तू मेरी बन गई
नीरस थे मौसम सारे
गुम थी जब तुम कहीं
पाया जिस दिन तुम्हे
सावन सी फुहार आ गई
तेरे इंतजार का
तेरे प्यार का
हर लम्हा महसूस किया
मिलते ही मेरी धरोहर बन
गई
तेरी खुशी बन
तेरे गम अपना लूं
प्यार करता तुझे हर पल
जिस दिन से तू मेरी हो गई
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