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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

उसके लिए ...





अहसासों की कमी अब तो हर पल उभरने लगी थी
हाँ उसकी खुशी शायद अब कहीं और बसने लगी थी
हाँ फैसला मेरा था, लेकिन अंतिम मोहर उसकी थी
शायद अपनी खुशी के लिए ये जरुरत भी उसकी थी

मेरी बातो को बातो जब - तब अनसुना कर दिया  
हर उभरते ख्याल को दो शब्द कह कर टाल दिया
उसे न समझ पाने का विष, अब हमने पी लिया
अमृत है उसके लिए मेरा जाना, वक्त ने कह दिया    

कैसा होगा मेरा आज और कल, मैं ये भी जानता नही 
उसके बिन यहाँ और वहाँ, मन मेरा अब लगता नही
खैर ये तो जिंदगी है, मैं सदा गलत रहा और वो सही
खुश रहे वो सदा, शायद अब जिंदगी में फैसले ले सही

हाँ यादो का सिलसिला आज भी साँसे ले रहा है
पुराने अहसास जिन्दा रखे है नया सब टूट रहा है
जानता हूँ बढ़ा हाथ मेरा अब धीरे धीरे छूट रहा है 
शिकायत नही, जो मेरा न था वो ही दूर जा रहा है

दुआओ का पिटारा भेज रहा हूँ आज, केवल उसके लिए
पहले मैं अपना सोचता था, आज सोच रहा हूँ उसके लिए
उससे मैं अलग नही 'प्रतिबिंब', लेकिन दूर जा रहा उसके लिए
हर खुशी मिले उसे, ये मांग रहा आज खुदा से केवल उसके लिए 
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