आज प्रेम का पोस्टमार्टम किया जाए. ये तो कौन नही जानता की पोस्टमार्टम कब किया
जाता है ... लेकिन अगर प्रेम के जिन्दा रहते किया जाए तो बात कुछ और है. प्रेम तो
हर रिश्ते की नीव है लेकिन मैं उस प्रेम की बात कर रहा हूँ जिसे मोहब्बत, इश्क,
आशिकी जैसे कई और नामो से नवाज़ा गया है और यह
सभी जीवो में पाया जाता है.
आकर्षण प्रेम की प्रथम सीढ़ी है. आकर्षण व्यक्तित्व का, आकर्षण चित्त का, आकर्षण
मन का, आकर्षण तन का, आकर्षण सौन्दर्य का, आकर्षण कामुकता का, आकर्षण भावो का,
आकर्षण शब्दों का, आकर्षण ज्ञान का, आकर्षण आदतों का, आकर्षण स्वप्नों का. कई तरह
के आकर्षण आँखों और कानो के द्वारा दिल में स्थान बनाते है.
आकर्षण के बाद दूसरी सीढ़ी बनता है सामीप्य. यह सामीप्य ही है जो आकर्षण को
हकीकत बनने में सहायक होता है. सामीप्य जहाँ बढ़ता है वहां इस रिश्ते में प्रेम
उर्जा का संचार होता है. फिर शायद पहले के कुछ रिश्ते बेमानी लगते है और नए में
लुत्फ़ आता है. सत्य है सामीप्य में तृष्णा
होती है, और तृष्णा ही जोड़ती है तोड़ती है. यही वह कड़ी है जो प्रेम को आधार देती
है.
फिर उत्पन्न होता है विश्वाश और उसको निभाने की चुनौती. एक दूजे
के प्रति प्रेम को दर्शाना भी दो मनो में इसे प्रगाढ़ करता है. संतुलन
भावनाओ का जरुरी है. गलतफहमी का एक तिनका प्रेम को औंधे मुंह गिरा देता है.
गलतफहमियो को पनपने न दिया जाए, कभी आभास हुआ तो तुरंत उसे हटाना जरुरी है. तब
छोटी छोटी बाते इसमें खास बन जाती है या छोटी छोटी बाते बिगाड़ भी देती है. वक्त और
जिम्मेदारियां अवश्य प्रेम में बदलाव लाती है भावनात्मक रूप में नही पर उसका बखान
नही होता यानी इजहार बार बार नही किया जाता. प्राथमिकताये कहीं प्यार को पीछे
छोड़ने लगती है तब छोटी छोटी बाते जो एहसास को जिन्दा रखे, एक दूजे को सहज और बंधन
में बांधे रखती है. ऐसी स्थिति में एक दूसरे को स्थान देना जरुरी है – भावनाओ से,
विचारो से भी. और व्यस्तता के बाद भी दो पल
सुकून से प्रेम के लिए निकाले जा सकते है. एक दूसरे के एहसास से जुड़कर.
वरना विश्वास भी डगमगाने लगता है. अगर प्रथामिकताये परिवार, कार्य और जिम्मेदारी
के आलावा है और प्रेम खोने लगा है तब प्रेम पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है.
यहाँ मन सर्वाधिक महत्व रखता है और समर्पण उसकी वो सीढ़ी है जहाँ इस रिश्ते में
एक ठहराव आता है. फिर दो मन एक बने रहते है अगर भटकने की फितरत नही. वरना फिर एक
नया आकर्षण .... और पिछले रिश्ते की जिन्दा मौत....