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सोमवार, 21 मार्च 2016

बे - लिबास हसरतें ....




हसरतों की बात है
हसरतें गरीब अमीर नही देखती
चली आती है बैठने या तरसाने
आस किसे नही होती
भगवान तू भी तो
साथ अमीरी का देता है

बस अमीर की हसरतें
रेशमी कपड़ो में
सज धज कर निकलती है  
लोगों की आँखे चुधियाँ जाती है
भगवान तू भी तो
फरियाद उनकी ही सुनता है

गरीब की हजारों हसरतें
उसके बिन छत के आशियाने में
बे-लिबास घूमती है
समाज आँख बंद कर लेता है
और भगवान तू
उन्हें जीते जी मार देता है


-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २१/३/२०१६ 

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