पृष्ठ

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

मन को सबक ...




जोड़ कर मधुर पल,
आशियाना बना लिया
प्रेम का एक आवरण,
अनजाने ओढ़ लिया
हर एक लम्हे को,
मोहब्बत से जोड़ लिया 
किस्मत ने किया अन्याय,
घरौंदा छीन लिया

वक्त बेवक्त याद आया कोई,
शायद यही प्यार
लिख डाले यूं ही कुछ शब्द,
एहसास दिखे लाचार
बेवजह हुई बाते दुश्मनी सी,
बेनतीजा रही तकरार
कर्म से किया न कभी इंकार,
बना नसीब इंतजार

वक्त ने मुझे बार - बार,
हर बार समझाया
लेकिन नियति का मैं मारा,
समझ न पाया
देर सुबेर करता रहा मनमानी,
खुद को सताया
दूर हुई किस्मत 'प्रतिबिंब',
जीवन व्यर्थ गंवाया  

-      प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ११/४/२०१६

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...