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मंगलवार, 17 मई 2016

कब तक




प्यास से पानी तक
भावो से शब्दों तक 
अर्थ से भावार्थ तक, 
रूप से शृंगार तक 
चाह से मंजिल तक
हृदय से मस्तिष्क तक
कल्पना से वास्तविकता तक
बिम्ब से 'प्रतिबिम्ब' तक
स्पर्श से मिलन तक 
तुम दूर रहोगे कब तक

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

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