मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर
समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी
प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्।
तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार,
हर पल तेरी
कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
प्यास से पानी तक भावो से शब्दों तक अर्थ से भावार्थ तक, रूप से शृंगार तक चाह से मंजिल तक हृदय से मस्तिष्क तक कल्पना से वास्तविकता तक बिम्ब से 'प्रतिबिम्ब' तक स्पर्श से मिलन तक तुम दूर रहोगे कब तक - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल