पृष्ठ

मंगलवार, 10 जनवरी 2017

मेरा पहाड़ ......



~मेरा पहाड़ ......~

पहाड़ो से
मेरा रिश्ता कायम है
जन्मभूमि की खुशबू
रची बसी है रोम रोम में
इसलिए उसकी पीड़ा भी
महसूस कर पाता हूँ
विकास के लिए हो या
किसी आपदा का शिकार हो
पहाड़ ने विनाश झेला हो
मेरे पहाड़ ने
जब - तब जख्म खाए है
सहनशीलता का
पर्यायवाची है मेरा पहाड़
और ऊंचाई
उसका मान सम्मान है
कठोरता और अडिगता
ही उसकी पहचान है
लेकिन मेरा पहाड़
संवेद्नाओं से भरपूर है

पहाड़ को पहाड़ में रह कर देखा
पहाड़ को नजदीक से देखा
पहाड़ को दूर से देखा
पहाड़ को दूर रहकर महसूस किया
पहाड़ से प्यार जस का तस है
पहाड़ी पहचान पा गौरंविंत हूँ  

पहाड़ कोई भी हो
अपना सा लगता है
मेरे अंदर भी एक पहाड़ है
भूले बिसरे ही सही
पहाड़ जिन्दा हो उठता है
अपनी कहता अपनी सुनाता है
दूर रहकर भी मुझमे बसता है
और मुझमे बसे पहाड़ को
कभी मरने नहीं देता........

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल १०/०१/२०१७
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...