खुदा का बन्दा हूँ
आंख होते हुये भी बना अन्धा हूँ
करता धन्धा हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी खुशियो का
खुशियां छीन लेने का हक रखता हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी प्यार का
प्यार पाकर बेवफाई करना जानता हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी दोस्ती का
पीठ पर छुरा घौंपने का आदी हो चुका हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी रिश्तो का
रिश्तो से मुंह मोडने में अब माहिर हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी अपनो का
अपनो को बेगाने करने का हुनर जानता हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी समाज का
समाज को बांटने का धर्म जानता हूँ
करता धन्धा हूँ
कभी देश का
देश को बेच डालने की काबलियत रखता हूँ
हां मै जिन्दा हूँ
खुदा का बन्दा हूँ
लेकिन इंसानियत से करता धन्धा हूँ
कुछ पल सोच लेता हूँ
अच्छा बुरा सोच लेता हूँ
अगले पल फिर अंधा हो जाता हूँ
फिर से करता धन्धा हूँ
हां मै जिन्दा हूँ
खुदा का बन्दा हूँ
-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
अबु धाबी, यूएई
waah sundar ati sundar..
जवाब देंहटाएंबहुत सही!
जवाब देंहटाएंअपना ईमेल भेजें तो चर्चा करना है...
जवाब देंहटाएंsameer.lal AT gmail.com पर
बहुत ही उम्दा कविता और एकदम सटीक सोच / लेकिन इस धंधे के लिए जनता बिलकुल दोषी है,क्योकि वह भ्रष्ट मंत्रियों से लड़ने को तैयार नहीं है / जनता बिलकुल दोषी है ,जो भ्रष्ट मंत्रियों को जूता नहीं मारती है / आप भी इस दोष में शामिल हैं और हम भी / अब भी वक्त है ,हमलोगों को इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा /
जवाब देंहटाएंवाह-वाह बडथ्वाल साहब, वाह बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंउपस्थित मित्रो - दिलीप साहब,उडन तशतरी जी, झा जी एवम गोदियाल जी का शुक्रिया!
जवाब देंहटाएं@जी झा साहब हां जरुरी है हमे पहले स्वयं को मिलना जरुरी है।एक कविता 1985 मे लिखी थी "मै"(http://merachintan.blogspot.com/2009/06/blog-post.html) कभी कभी हम प्रश्न पुछते रह जाते है जब्कि उत्तर हमारे पास ही है।
@ समीर जी मेल आपको भेज दी है। आपका स्वागत है सर्!
wowwwwwwwwwww अच्छा बुरा सोच लेता हूँ
जवाब देंहटाएंअगले पल फिर अंधा हो जाता हूँ
फिर से करता धन्धा हूँ
हां मै जिन्दा हूँ
खुदा का बन्दा हूँ
Marvellous........it speaks the harrowing truth about the power of evil, personal and political
जवाब देंहटाएंkya baat hai.....khooda kaa banada hoon....... karta mai dhandha hun... prati ji bahut hee sundar kavita hai.......aaj kal ki samay dasha ke hisab se aik dam satya ..
जवाब देंहटाएं