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रविवार, 30 जनवरी 2022

हमारी संस्कृति

 


हमारी संस्कृति
 
संस्कृति और संस्कारों की, ये हमारी पावन धरती
साध्य और साधना से, निरन्तर ये है खिलती जाती
 
हमारी संस्कृति लिए हुए, विविधता और सम्पन्नता
जीवन का सार समझाती जाती, रामायण और गीता
 
सद्विचार और उपासना से, उपजती आध्यात्यमिकता
धर्म - अर्थ और काम - मोक्ष, चारों इसकी विशेषता  
 
उत्पति से लेकर अब तक, अनवरत है चलती आई
सर्वभौम है जिसमें धर्म, पंथ करते जिसकी अगुवाई
 
सनातन धर्म से सुशोभित है, हमारी अपनी संस्कृति
सब धर्मों का आधार भी है, हमारी सनातन संस्कृति
 
संस्कृति संस्कारित करती, धर्म और विद्या सिखाती
मानसिक ओर सामाजिक गुणों का, बोध है कराती
 
सभ्यता है इसका आधार, संस्कृति निर्माण होती जाती 
वेद मूलक हमारी संस्कृति, परमात्मा से हमें मिलवाती
 
आओ हम मिलकर सब, अपनी संस्कृति का संवर्धन करें
छोड़ मोह पाश्चात्य का, संस्कृति पर अपने अभिमान करें
 
-      प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ३० जनवरी २०२२


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