
मुंबई हमले की आज बरसी है. तमाम चैनलो और प्रिंट मीडिया में "अपने सच" की खूब बिक्री हो रही है.सभी किसी न किसी रुप में किसी को दोषी ठहरा रहे है या फ़िर प्रशन खडे कर रहे है. आज भी पाकिस्तान को दोषी और शहीदो को याद कर रहे हैं. यही होता आया है पहले भी और आज भी. सरकार की नाकामायाबी और राज्य की निष्क्रियता पर राजनीति होती आ रही है और होती रहेगी.
सच तो केवल इतना है कि आंतक का डर उसी रुप में बरकरार है. कई दावे सुरक्षा के मध्य नज़र हर घटना के बाद किये जाते है, आयोगो का गठन तो आम बात है. मानव अधिकारो के नाम पर दोषियो के प्रति सख्त कार्वाही करने से हिचकते है या कहे वोट बैंक की रजनीति हावी रहती है. केवल लोगो को गुमराह किया जाता है धर्म, मज़हब या फ़िर अल्पसंखय्को के नाम पर.
आज जरुरत है अपनी सुरक्षा संगठनो को और सशक्त बनाने की, गुप्त्चर विभाग को और जागरुकता बरतने की और आम नागरिक को और चौकस रहने की. इन तीनो को केवल राष्ट्र से जोड कर देखा जाना चाहिये ना कि जाति, धर्म और राजनीति से. भरस्क प्रयास होने चाहिये हर राज्य की ओर से चाहे सरकारे किसी भी राजनीतिक दल की हो या केन्द्र मे किसी की भी सरकार हो.पक्ष या विप़क्ष को राजनितिक फ़ायदे की लालसा को दर किनार कर देश की अखंडता के लिये साथ कदम उठाने की जरुरत है. कानून का पालन सख्ती से और दोषियो की सुन्वाई जल्द से जल्द और कडी सज़ा जिससे आंतक फ़ैलाने वाले इस तरह के कदम उठाने से पहले १०० बार सोचे. उन सभी लोगो को भी जो आंतकियो को शरण देते है उन्हे भी आंतकी समझ कर ही सज़ा देना जरुरी है. सविधान/कानून मे भी संशोधन की जरुरत है जिससे अपराधी इसका फ़ायदा उठा कर बच ना सके. सभी पुलिस महकमो मे शिक्षा और आधुनिकरण को स्थान देना होगा तथा उनकी उपयुक्तता को बढाना होगा. बेरोज़गारी और गरीबी जैसे मुद्दो की ओर भी देखना होगा जिससे युवाओ को सही दिशा मिल सके और उनका ध्यान देश विरोधी गतिविधियो या अपराधो की ओर ना जाये.
सभी कार्यो को अंज़ाम देने के लिये इच्छाशक्ति की अहम जरुरत है. फ़िर देश से बडा क्या है. यदि हम सभी इस भावना से कार्य करे तो आंतक जैसे दानव से छुटकारा पा सकते है.
एक गीत जो १५ अगस्त २००९ को लिखा था उसे पुन: लिख रहा हूं. शहिदो को नमन करते हुये.
- सुनो वतन के रखवालो -
हे माटी के मतवालो, गीत हिंद के गा लो,
हर धर्म का है मान यहां, प्रेम जहां की भाषा है,
मां यही है,शक्ति यही है, सुनो वतन के रखवालो
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
इस माटी मे हम जन्मे हैं, इस माटी से प्यार करो,
प्यार हमारी शक्ति है, इसी में छुपी देश भक्ति है,
तिरंगे ध्वज की गरिमा को, आंच कभी ना आने देंगे।
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
आजादी कही छिन ना जाये, भारत को हमें बचाना है
वतन पर मरने वालो की, हमे यही तो दीक्षा है,
उठो स्वयं को तैयार करो, माटी का कर्ज चुकाना है,
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
भारत में रहनेवाला , हर एक इंसा हिन्दुस्तानी है,
धर्म कहीं लुटने ना पाये, करनी इसकी निगरानी है,
मां की लाज बचानी है, यही एक हमारा नारा हो।
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
सब युवाओ के कंधो पर, बागडोर है भारत की,
अब घडी है परीक्षा की, इसके लिये हर पल तैयार रहो,
गर्व है तुम पर भारत मां को, उसका पूरा सम्मान करो।
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
यह देव्य भूमि है,यह पुण्य भूमि है,इस पर कितने अवतार हुये,
हम स्वयं अंश है इस भूमि के, फिर क्यो कोई अपमान सहे,
दे देंगे जीवन अपना भी, लेकिन मां को कुछ ना होने देगे।
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
आज वचन ले हम सब, इसकी रक्षा करने का,
मर जायेंगे, मिट जायेंगे, सेवा मे अपने वतन की,
धर्म यही है कर्म यही है, हम तिरंगे के मतवालो का।
सुनो वतन के रखवालो, गीत हिंद के गा लो।
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, आबू धाबी, य़ू ए ई