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गुरुवार, 12 अक्तूबर 2023

इस पटल पर

 




मैं इस पटल पर, जो कुछ भी लिखता हूँ
भाव अपने यहाँ, आपसे सांझा करता हूँ

वैसे अब शब्द यहाँ, ठहरते हैं कहाँ
अब दौड़ते हैं वहाँ, मिलती भीड़ जहाँ

ज्ञान बँटता नहीं, अब केवल बिकता है
टूट रही परंपराएं, अब पैसा दिखता है

बदल गई सीमाएं, पुस्तकें अकेली लगती हैं
साहित्य व्यापार हुआ, अब बोलियाँ लगती है

मेरे लिए तो हर पल, यहाँ अमृत वेला है
भाव और शब्दों का, जहाँ लगता मेला है

'प्रतिबिम्ब' आपका, नया अस्तित्व ले खड़ा हो
भाषा के साथ, साहित्य व संस्कृति से जुड़ा हो

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल,12 अक्टूबर 2023

मंगलवार, 15 अगस्त 2023

वीर सपूतों की चाह

 



वो भारत का सम्मान लिए, चला था

छोड़ कर घर, भारत का बेटा बना था

समर्पित होकर,  देश के लिए लड़ा था

न्यौछावर जीवन, माँ के लिए किया था 

माँ भारती का लाडला बन, आज लौटा था

सम्मान में तिरंगा तन से उसके लिपटा था


माटी का उसने तब, तिलक किया था

माँ को झुक कर तब, प्रणाम किया था

चौड़ा सीना लिए तब, वो आगे खड़ा था

आँखों में रोष तब, उसका हौसला बड़ा था 

रणभूमि पर तब, खूब कौताहुल मचा था

दुश्मन से लड़ने तब, हर जवान खड़ा था

 

उनके नापाक इरादों को, तब ध्वस्त किया था

गोलियों से भूनकर, ढ़ेर दुश्मनों को किया था

शत्रुओं को अपना दम उसने, खूब दिखाया था 

शत्रुओं के हर बढ़ते कदमों को, उसने रोका था 

खाकर गोली सीने पर, फिर भी अटल खड़ा था

हर सीमा प्रहरी का, मनोबल वो ही तो बना था


लड़ने का हौसला, उसका हर पल जिंदा था

अपनी शेष सांसो का भी, उसे सहारा था

जीत का लेकर भाव. स्वाभिमान प्रबल था

आँखों में उसकी, उभरता क्रोध प्रखर था

चुन चुन कर जिसने, शत्रुओं को मारा था 

आज रक्त रंजित, शरीर स्थिल वहाँ पड़ा था


इच्छा फिर भी, उसे अभी भी लड़ना था

शत्रुओं को अपने, नाकों चने चबवाना था  

घायल शरीर था, मौत को गले लगना था

उससे पहले ऊँचे शिखर, तिरंगा फहराना था

रंक्त रंजित हौसलों का, फैला तब यशगान था

जीत, माँ भारती को वीर सपूतों का उपहार है 

  


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

15 अगस्त 2023, दिल्ली 



बुधवार, 22 मार्च 2023

घर – घर होती जय जयकार



नवरात्र उत्सव आया, उत्साह उमंग घर – घर

हो रही घट स्थापना, बुलावा है माँ घर - घर

आस्था, भक्ति और विश्वास की लहर घर – घर

तेरे लिए ही माँ, अखण्ड जोत जली घर – घर


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


नौ दिन हैं ये शुभ दिन, तेरी महिमा है अपरंपार

भव्यता तेरी विशाल, शक्ति का तू है तो अवतार

इस भवसागर में कृपा तेरी, बन जाती है पतवार

हे सुखदात्री, हे कष्टहारिणी, नमन तुम्हें बारंबार


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


शैलपुत्री हिमराज सुता, ब्रह्मचारिणी दु:खहारिणी

चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता तुम ही जगतारिणी

कात्यायनी, कालरात्रि, तुम धैर्यदात्री, दैत्यसंहारिणी

महागौरी कुंदन सुमन, सिद्धिदात्री तुम पालनकारिणी


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


तेरी कृपा से सलिल, सरिस, पावन जीवन पायें

मन के कलुष, क्लेश, कुत्सित सोच दूर भगायें

विश्वास, आस्था, कामना संग, तुझ से जुड़ जायें

सुखी तन, मन, धन का, तेरा आशीर्वाद हम पायें


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल - २२ मार्च, २०२३

सोमवार, 20 मार्च 2023

पहचान मुश्किल

 



हटी कुछ धूल, चेहरा धुंधला सा है

दर्पण में चेहरा, अपरिचित सा है

अंतर्मन कुछ, चित परिचित सा है

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


चाह भी, बदलने लगी है अब राह

पथराये चक्षु, निकलती बस आह

ग़मों की धरती, मिलती नहीं थाह

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


छिप रही किरण, उजाले की ओट से

सिमट रहा रिश्ता, अपनों की चोट से

बढ़ती रही दूरियां, मन उपजे खोट से

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


रास्तों के सुमन, मुरझा गए धूप में

सिमट रही आभा, उजालों की मौज में

गूँज रही सदा, खोखले से आवरण में

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 20/3/2023



शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023

मन की बात

 




तेरे मेरे मन की यहाँ होती बात
देश प्रेम की यहाँ होती बात
दिन प्रतिदिन की यहाँ होती बात
मोदी जी करते हमसे मन की बात
मन की बात, मन की बात

सहज और सरल ढंग से समझाते
हर मुद्दों पर देश की सोच बताते
जनमानस को इसमें शामिल करते
मोदी जी करते हमसे मन की बात
मन की बात, मन की बात

हर भाषा हर राज्य की आती बात
चेतना और चिंतन की होती बात
संस्कृति, संस्कार से जुड़ने की बात
मोदी जी करते हम से मन की बात
मन की बात, मन की बात

नई प्रतिभाओ से मिल बनती बात
देश, विदेश और इतिहास की बात
प्रकृति सरंक्षण व संवर्धन की बात
मोदी जी करते हम से मन की बात
मन की बात, मन की बात

प्रेरक प्रसंगो से जोड़ते सबको
कर्तव्य पथ का मार्ग समझाते
श्रेष्ठ भारत का गौरव हमें बताते
मोदी जी करते हम से मन की बात
मन की बात, मन की बात

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
१०/२/२०२३
( "मन कि बात प्रतियोगिता" जिंगल हेतु लिखा गया - गीत प्रस्तुति वसुंधरा रतूड़ी )
https://youtube.com/shorts/f2FYTtR0MaE?si=EnSIkaIECMiOmarE

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