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रविवार, 11 जुलाई 2021

हिंदी साहित्य भारती - केन्द्रीय कार्यकारिणी व् विदेश कार्यकारिणी की घोषणा

हिंदी साहित्य भारती विकास यात्रा  

प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया. अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश कार्यकारिणीयाँ सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। 

१४ सितम्बर २०२० से १४ अक्टूबर २०२० तक हिन्दी मास व्याख्यानमाला का आभासी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक व्याख्यान दिये। अक्टूबर मास में ही धर्म बनाम छद्म धर्मनिरपेक्षता, साहित्य और संस्कृति का अन्तःसम्बन्ध एवं संस्कार और संस्कृति विषयों पर साप्ताहिकी के अंतर्गत अनेक शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने तार्किक विवेचना प्रस्तुत की। इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त हिन्दी साहित्य भारती द्वारा  पुस्तक समीक्षा, महापुरुषों की जयंती और युवा साहित्यकारों के लिए साहित्यिक प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।



केन्द्रीय कार्यकारिणी व् विदेश कार्यकारिणी की घोषणा 


११ जुलाई २०२१  -  "प्रेस क्लब आफ इंडिया" में  हिंदी साहित्य भारती दिल्ली द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में केंद्रीय व विदेश कार्यकारिणी की घोषणा की गई। प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय  व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल जी, श्री नरेन्द्र जी, केंद्रीय उपाध्यक्ष (संस्थापक डायमंड पॉकेट बुक्स), डॉ माला मिश्रा, केंद्रीय प्रभारी (प्रो आदिति कॉलिज) , डॉ रमा, अध्यक्ष, दिल्ली कार्यकारिणी (प्राचार्य हंसराज कालिज दिल्ली), डॉ रामजी दुबे ,महामन्त्री, दिल्ली कार्यकारिणी(दिल्ली प्राचार्य दिल्ली कालिज), व श्री प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, (महामंत्री विदेश कार्यकारिणी) की उपस्थित मंच पर रही। 

हि सा भा के उद्देश्यों को डॉ रवींद्र शुक्ल्ल जी ने सबके समक्ष रखा व उनको प्राप्त करने हेतु रोड मैप से भी अवगत कराया. हर प्रदेश  व् कई जिलो में  हि सा भा  द्वारा केन्द्रीय व् विदेश कार्यकारिणी की घोषणा प्रेस वार्ताओ द्वारा दी गई. इसी दिन विभिन्न देशो में भी घोषणा अपने - अपने माध्यम से वहा हिंदी साहित्य भारती के साधको ने की है. इन सबका उल्लेख हर राज्यों  के प्रमुख समाचार पत्रों में टीवी चैल्न्स पर किया गया है. एक साथ पूरे देश में और विदेश में कार्यकारिणी की घोषणा का यह पहला मौका होगा.

प्रेस वार्ता के ततपश्चात दिल्ली शाखा ने हंसराज कालिज में भी सम्मान हेतु एक कार्यक्रम रखा था। कालिज की प्राचार्य डॉ रमा जी ने वहां तुलसी का पौधा व शाल देकर सम्मान किया। यहाँ पर दिल्ली कार्यकरिणी के अन्य सदस्यों - माला जी, राम जी दुबे जी, रजनी जी, सृन्जना जी, प्रभांशु जी, शिल्पा जी, विकास जी, अजय जी से भी मुलाकात हुई. सभी आज के हिंदी साहित्य भारती के सफल आयोजन से उत्साहित दिखे. सबका धन्यवाद व्  शुभकामनायें. इस कार्यक्रम में डॉ देवी प्रसाद मिश्रा जी का सहयोग  भी दिल्ली टीम को मिला. आभार.

विदेशों में व देश के राज्यो जिलों में भी प्रेस वार्ताओं का सिलसिला खूब चला।  सभी को बधाई व शुभकामनाएं.

आप सभी मित्रो से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में हिंदी साहित्य भारती से जुड़े - इस संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं:

१-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना

२- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना

३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी  क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना

४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना

५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना

६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना

७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना

८- "इदं न मम, इदं राष्ट्राय" तथा "माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:" के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना

९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना

१०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना

यह अत्यंत गौरव का विषय है  कि हिं सा भा  से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्वविद्यालयों के  कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, वभागाध्यक्ष, प्रोफ़ेसर, राष्टीय व्  अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिंदी प्रेमी और साहित्य अनुरागी तन-मन-धन से, पूर्ण निष्ठा व् समर्पण भाव से जुड़े है.  विदेश कार्यकारिणी में की घोषणा:



सभी देशों में जल्द ही कार्यकारिणीयों का गठन किया जाएगा. विदेशों में हिंदी प्रेम न केवल भारतीयों के दिलों में महसूस हो बल्कि इस देश के निवासी भी इससे प्रेम करें - इसके लिए कार्यक्रम की रुपरेखा उस देश में हि सा भा के लोगो के साथ मिलकर तय किये जायेंगे.   

मुझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास है कि हम अपने उद्देश्य पर सफल होंगे. सभी हिंदी प्रेमियों का स्वागत है. हिंदी प्रेमी हि सा भा के पन्ने व समूह से जुड़कर देश के राज्यों या विदेश के कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं. 


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

महामंत्री 

हिंदी साहित्य भारती (विदेश कार्यकारिणी)


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