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सोमवार, 24 नवंबर 2014

सुप्रभात



तुम्हे नींद तो
अच्छी आई होगी
सपनो और एहसासों का
मिलन खूब हुआ होगा
भोर की किरणों से
आँख तुम्हारी खुली होगी
अब सपनो की खोज
और एहसासों को जीना होगा
प्रतिबिंबित होगी हर सोच
जब आशा और आंकक्षा का
हकीकत के धरातल पर मिलन होगा
पथ स्पष्ट और मंजिल निकट
तब जीने का मज़ा दुगना होगा
मिलेगा फिर सुखद एहसास
जब सपना सच्चा और अपना होगा

शुभम 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

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