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रविवार, 13 सितंबर 2009

हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर


हिन्दी मेरी अपनी है भाषा

सब बोले मेरी ये है आशा


भारत मां के माथे की है ये बिन्दी

हर हिन्दुस्तानी की शान है ये हिन्दी


हिन्दी मनभावन और अति पावन है

बिखरे इसमें कई रंग और खुशबू है


हर साहित्यकार को करे हम नमन

हर रचनाकर का करे हम अभिनंदन


हिन्दी दिवस मना रहे हम सब आज

हिन्दी प्रेम की शुरुआत करे हम आज


आओ हम सब कर ले ये सन्धि

लिखे, पढे और बोले अब हिन्दी

- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

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