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मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्। तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार, हर पल तेरी कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
गुरुवार, 16 जुलाई 2009
मेरा वतन
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मंगलवार, 14 जुलाई 2009
मुश्किल है अपने से दूर करना

आसान है तुमको गले लगाना
मुश्किल है अपने से दूर करना
आसान है प्यार का इजहार करना
मुश्किल है तुम बिन इंतज़ार करना
आसान है तुम से नज़रे मिलाना
मुश्किल है तुम से नज़रे चुराना
आसान है तुमसे प्यारी बाते करना
मुश्किल है तुम से रुठ कर बैठना
आसान है तुम से दोस्ती करना
मुश्किल है तुम से बेवफाई करना
आसान है तुम पर अहसान जताना
मुश्किल है तुम से अहसास छुपाना
आसान है तुम रुठो तो मनाना
मुश्किल है तुम से फासले बनाना
आसान है तुमको नज़रो में बसाना
मुश्किल है अपने से दूर करना
- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
(यह भी एक पुरानी रचना है)