मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्। तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार, हर पल तेरी कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
शनिवार, 17 अक्टूबर 2009
दीपावली की बधाई एवम शुभकामनाये!!
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009
दिवाली फ़िर से आई - शुभकामनाये

दिलो - दिमाग पर रहती, हर त्यौहार की छाप है
बतलाया गया मुझे चोरी और झूठ तो एक पाप है।
सिखलाया करना बड़ो का आदर, रखना प्रेम और भाई चारा,
देश प्रेम का पाठ पढाया और बुलंद किया देशभक्ति का नारा।
आज दिवाली फ़िर से आई सबके चेहरो पर ख़ुशियाँ लाई,
दोस्तों को देने लगे बधाई, सबके घरों में उमंग ले आई।
भूल गये सब कल की बाते, नई राह फ़िर लगे हैं देखने,
आज फ़िर कल बन जायेगा, सभी भरने लगेंगे घर अपने।
आओ दीपावली का त्यौहार हम आज इस तरह मनाये,
रुठे है सपने जिनके, उनके सपनों को आज़ फ़िर संज़ाये।
- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
बुधवार, 14 अक्टूबर 2009
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ

अपनी धुनों से दीवाना तुमको बनाऊँ
प्यार के खेल में जीत ले हम बाजी
तुम संग नाचूँ, गीत, मिलन के गाऊँ
तुम कहो तो दुनिया से मैं लड़ जाऊँ
धरती क्या अम्बर में तूफान मचाऊँ
सागर की मौजो को गले लगाऊँ
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ
पंछी जैसे साथ तुम्हें ले मैं उड़ जाऊ
नील गगन में प्यार तुम्हें सिखलाऊँ
तराना प्यार का तुमको मैं सुनाऊँ
तुम संग नाचूँ, गीत मिलन के गाऊँ
दिल में अपने मूरत तुम्हारी है बनाई
किया है प्यार तुम्हीं से, ये है सच्चाई
साथ जियेंगे कसम ये है मैंने खाई
सोमवार, 12 अक्टूबर 2009
तो क्या बात होती

हम - तुम एक हो जाते तो क्या बात होती
तेरा दर्द मैं सह पाता तो क्या बात होती
तेरे आंसू मेरी आंख से आते क्या बात होती
तेरा गम मैं समेट पाता तो क्या बात होती
तेरी परछाई मैं बन पाता तो क्या बात होती
मेरी खुशनसीबी तुम्हें मिल जाती तो क्या बात होती
तुम्हारा प्यार मुझे मिल जाता तो क्या बात होती
मेरा सुख-चैन तुम को मिल जाता तो क्या बात होती
मेरी मुस्कराहट तुम को मिल जाती तो क्या बात होती
तेरे दामन में ख़ुशियाँ मैं भर पाता तो क्या बात होती
दुनिया की बुरी नज़र से बचा पाता तो क्या बात होती