पृष्ठ

बुधवार, 22 मार्च 2023

घर – घर होती जय जयकार



नवरात्र उत्सव आया, उत्साह उमंग घर – घर

हो रही घट स्थापना, बुलावा है माँ घर - घर

आस्था, भक्ति और विश्वास की लहर घर – घर

तेरे लिए ही माँ, अखण्ड जोत जली घर – घर


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


नौ दिन हैं ये शुभ दिन, तेरी महिमा है अपरंपार

भव्यता तेरी विशाल, शक्ति का तू है तो अवतार

इस भवसागर में कृपा तेरी, बन जाती है पतवार

हे सुखदात्री, हे कष्टहारिणी, नमन तुम्हें बारंबार


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


शैलपुत्री हिमराज सुता, ब्रह्मचारिणी दु:खहारिणी

चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता तुम ही जगतारिणी

कात्यायनी, कालरात्रि, तुम धैर्यदात्री, दैत्यसंहारिणी

महागौरी कुंदन सुमन, सिद्धिदात्री तुम पालनकारिणी


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार


तेरी कृपा से सलिल, सरिस, पावन जीवन पायें

मन के कलुष, क्लेश, कुत्सित सोच दूर भगायें

विश्वास, आस्था, कामना संग, तुझ से जुड़ जायें

सुखी तन, मन, धन का, तेरा आशीर्वाद हम पायें


नव रूप सुसज्जित, तेरी महिमा का होता खूब विचार

शुभाशीष पाने माँ, घर - घर होती तेरी जय जयकार



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल - २२ मार्च, २०२३

सोमवार, 20 मार्च 2023

पहचान मुश्किल

 



हटी कुछ धूल, चेहरा धुंधला सा है

दर्पण में चेहरा, अपरिचित सा है

अंतर्मन कुछ, चित परिचित सा है

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


चाह भी, बदलने लगी है अब राह

पथराये चक्षु, निकलती बस आह

ग़मों की धरती, मिलती नहीं थाह

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


छिप रही किरण, उजाले की ओट से

सिमट रहा रिश्ता, अपनों की चोट से

बढ़ती रही दूरियां, मन उपजे खोट से

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


रास्तों के सुमन, मुरझा गए धूप में

सिमट रही आभा, उजालों की मौज में

गूँज रही सदा, खोखले से आवरण में

पहचान मुश्किल, बदला स्वरूप है


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 20/3/2023



Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...