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रविवार, 11 अक्तूबर 2020

~ कारण ~

 






तुम और मैं

अकारण नहीं हैं

कारण हैं

एक दूसरे के

जीवन में होने का

सहमति, समझौते और

तालमेल के बीच

कारणों की लंबी भूमिका लिए


हाँ

दखलनन्दाजी

की सीमाओ से परे

कुछ उत्तरदायित्वों के साथ

कर्तव्य की कसौटी पर

परीक्षाएँ देते हुये

क्रमागत होते हुये

कर्मण्यता से

परिपक्वता से

कारण को

कारण बनाते हुये


हाँ

तेरा होना, मेरा होना

तेरा मुझ में होना

मेरा तुझ में होना

प्राथित नहीं है

नियति व प्रारब्ध का

संचित फल है

जो

एक दूजे के लिए प्रारक्षित है

स्वीकृत है तन से मन से

हर परिस्थिति में

चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल हो

कारणों की हर भूमिका का

निर्वाहन ही कारण है

तेरे मेरे होने का।


- प्रतीबिम्ब बड़थ्वाल ११/ १०/२०२०


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