पृष्ठ

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

रिश्ते और रास्ते





सच दुनिया का, रिश्तों में ही दुनिया है
कड़वा सच दुनिया का, इन रिश्तों में है

कभी इन रिश्तों में, रास्ते बदल जाते हैं
कभी इन रास्तों में, रिश्ते बदल जाते हैं

बाहर से रिश्ता, हर शख्स निभाता रहा
अंदर से रिश्ता, हर पल वो काटता रहा

रिश्तों में रिश्ते, मैं निभाता ही चला गया
रिश्ते में रिश्ता. दम तोड़ता ही चला गया

यहाँ कौन अपना कौन पराया, बात सही है
रिश्ते बनते व बिगड़ते हैं, हकीकत यही है

खोले थे राज जिनसे, उसी ने की मुखबरी है
शिकायत करूं कैंसे, रिश्तों की मजबूरी है

चेहरों में ले मिठास, खंजर दिल में होते हैं
कुछ रिश्तों में तो, यह मंजर आम होते हैं

साजिश समय की ‘प्रतिबिम्ब’, बड़ी गहरी है
रिश्ते और रास्तों की, कहानी अभी अधूरी है

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, २५ अगस्त २०२२

बुधवार, 24 अगस्त 2022

निभाया करो

 




निभाया करो

ख्वाब जो देखे थे, उनसे बात किया करो
पल–पल जीवन , सोच तुम जिया करो

रहकर आस-पास, ओझल न रहा करो
प्रेम का हर रूप, तुम महसूस किया करो

गलतफहमियाँ, दरमियाँ में न पाला करो
अच्छा लगता है, मन से बात किया करो

अपनों को कभी, अनदेखा न किया करो
शब्द दो ही सही, पर बोल तुम लिया करो

महकेगा ये जीवन, अहसास किया करो
चाहत की आस, बेझिझक तुम कहा करो

दर्पण के सामने, सोलह शृंगार किया करो
देख रहा हूँ मैं तुम्हें, यूं भान तुम किया करो

प्रेम का मेरा हर गीत, होंठों में रखा करो
याद जब भी आये, गुनगुना तुम लिया करो

दिल से दिल की बात, समझा-कहा करो
“प्रतिबिम्ब” से रिश्ता, तुम यूं निभाया करो

- प्रतिबिम्ब २४ अगस्त, २०२२ 





Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...